~ मेरे दिल-ऐ-बयां ~
जब मैंने पहली बार दारू पी, मैं अपनी ही नज़रों में गिर गया
…और जब मैंने दारू छोड़ने का फैसला किया,
अचानक से मैंने उन तमाम दारू फैक्ट्री के मजदुरों,
उसके बीवी-बच्चो के बारे में सोचा तो मेरी आँखे भर आई
और उसी पल फैसला किया कि अभी से,
मै रोज अलग-अलग ब्रांड की दारू पिऊंगा…
“अपने लिए तो सब जीते है….
कभी दुसरो के लिए भी जी कर देखो यार”
(दारू प्रेमी समाजसेवी भाइयो की तरफ से जनहित में जारी)
जब मैंने पहली बार दारू पी, मैं अपनी ही नज़रों में गिर गया
…और जब मैंने दारू छोड़ने का फैसला किया,
अचानक से मैंने उन तमाम दारू फैक्ट्री के मजदुरों,
उसके बीवी-बच्चो के बारे में सोचा तो मेरी आँखे भर आई
और उसी पल फैसला किया कि अभी से,
मै रोज अलग-अलग ब्रांड की दारू पिऊंगा…
“अपने लिए तो सब जीते है….
कभी दुसरो के लिए भी जी कर देखो यार”
(दारू प्रेमी समाजसेवी भाइयो की तरफ से जनहित में जारी)